...

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यादें
तुझे न पाने की आस कभी जाती नही
तुझे याद न करूँ ऐसी भी रात कभी आती नही
ना जाने तू एक अधूरी ख्वाइश सा है
मुझसे जुड़ी मेरी एक फरमाइश सा है
जानती हूं तेरा मेरा कोई मेल नही
फिर भी एक आस लगाए बैठी हूँ
तू मिल जाये मुझे फिर से
उस रब से बस एक अरमान सजाए बैठी हूँ
तू उस पेड़ का फूल है
जिसे अपने बालों में सजाना चाहती हूँ
तेरी ही खुशबू में मैं
खुद को भी महकाना चाहती हूँ
तुझसे चाहकर भी दूर जाने का
ख्याल नही आता है मुझे
मुझसे दूरियां बनाकर तू
आज भी उतना ही तड़पाता है मुझे
तेरी यादें मुझे तोड़ देती है
तेरी याद दिलाकर मुझे भीगो देती है
© Bhanu