सूनी हथेलियाँ
जब छूटने लगा था कुछ कुछ
तभी टूटने लगा था बहुत कुछ
अंतराल पसरने लगा था धीरे धीरे
कदम दर कदम …...
बढ़ते जा रहे थे फासले
शुरू में लगा
अरे बस यही तो छूटा
कोई न ….
अभी बहुत कुछ बाकी है
पर फिर और कुछ कम हो गया
तो सोचा दिल ने
जब वो छुटा तो इसे भी जाने दो
चलता है...