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कुछ खामोशी है दिल की।
कुछ खामोशी है दिल की।
कुछ अपनी तन्हाई है।
दिल क्या चाहता है मुझसे।
ये बात लबो पे नहीं आई है।
खुद हू की खुदा से हूं
इस बात की क्या सच्चाई है।
सोचा कभी कोई थमेगा मुझे भी।
वो घड़ी अब तक नहीं आई है।
एक चेहरा है फूलों सा।
दिल की आंखो ने देख बताई है।
अब क्या कहूं उस रब से मै ।
ये मिलन है अपनी जुदाई है
कुछ खामोशी है दिल की
कुछ अपनी तन्हाई है।
© navneet chaubey
कुछ अपनी तन्हाई है।
दिल क्या चाहता है मुझसे।
ये बात लबो पे नहीं आई है।
खुद हू की खुदा से हूं
इस बात की क्या सच्चाई है।
सोचा कभी कोई थमेगा मुझे भी।
वो घड़ी अब तक नहीं आई है।
एक चेहरा है फूलों सा।
दिल की आंखो ने देख बताई है।
अब क्या कहूं उस रब से मै ।
ये मिलन है अपनी जुदाई है
कुछ खामोशी है दिल की
कुछ अपनी तन्हाई है।
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