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प्रेम ❤️
प्रेम से प्रेम सब चाहें, प्रेम बाटन को नाही कोय,
जो मन का प्रेमी न मिले, तो प्रेम ही बैरी होय ।।
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सच्चे प्रेमी केवल खुशी चाहे , तन न चाहे कोय ,
जो चाहे कोइ तन तो, वह प्रेम मोहभयी होय ।।
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अंतत : प्रेम विवाह ही चाहे , विरह सह न शके कोय,
जो हो शुद्ध प्रेम तो , मन उन्ही मे बेसुध होय ।।
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