mashooqa
बला की खूबसूरत है वो, जो हैं माशूक़ा मेरी
फिर आज ये रात क्या काली कम थी , जो उसने काजल लगा लिया
फलक के चाँद की रोशनी में बैठ कर सारी रात देख सकता था मैं उसे
उस पे ये गजब की माथे की बिंदी में उसने आफताब सजा लिया ,बला की खूबसूरत है
दूध सी गोरी गोरी रंगत उसकी,और काली ...
फिर आज ये रात क्या काली कम थी , जो उसने काजल लगा लिया
फलक के चाँद की रोशनी में बैठ कर सारी रात देख सकता था मैं उसे
उस पे ये गजब की माथे की बिंदी में उसने आफताब सजा लिया ,बला की खूबसूरत है
दूध सी गोरी गोरी रंगत उसकी,और काली ...