सुनसान पड़ा
आज गाँव सुनसान पड़ा; इंसानों से अनजान पड़ा।
बस्ती बस्ती खाली खाली; शहरी गलियां वीरान पड़ा।।
पूछ रहें खिड़की दरवाजे; शोर कहाँ खो गया यहां से।
घर आंगन खाली खाली सा; बगिया भी सुनसान पड़ा।।
कैसी विपदा...
बस्ती बस्ती खाली खाली; शहरी गलियां वीरान पड़ा।।
पूछ रहें खिड़की दरवाजे; शोर कहाँ खो गया यहां से।
घर आंगन खाली खाली सा; बगिया भी सुनसान पड़ा।।
कैसी विपदा...