...

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जूते 👞
कभी माँ के तो कभी पापा के
यूँही हम जूते में पैर फंसा लिया करते थे
छोटे थे तो नासमझी के कारण
और बड़े होकर पैर नापा करते थे। 😂

जब तक जूते में पैर आगे ना बढ जाए
हम पूरा जोर लगाया करते थे
जब पीछे से बड़ी सी ऐड़ी निकलती
तो मम्मी को दिखाया करते थे। 😉

"बस इतना सा और!
फिर मैं भी बड़ा हो जाऊंगा।"
ना जाने कितनी कितनी बार
माँ से जाकर ये कहा करते थे। 😎

थोड़े नासमझ थोड़े समझदार
उस समय हम भी हुआ करते थे
ड़ांट ना पड़े पापा से इसीलिए
जूते सही जगह रख आया करते थे। 😋

जैसे जैसे बड़े हुए
उस समय का इंतजार किया करते थे
बार बार पैरों को अपने
हम यूँ ही ताका करते थे। 😌

फिर वो समय भी आया
जब जूते पापा के आने लगे
बड़े होते हमने जाना
मासूम कितने हम भाने लगे। 😥

जब बोझ बड़ा भारी पड़ा
जिम्मेदारी हमारे कांधे लगी
एक बार फिर पापा के जूतों से
मासूमियत सारी जाने लगी। 😞

लेकिन इतना समझ लिया अब हमने
बचपन की कुछ और ही बात थी
फंसने लगे जब पैर में जूते
जिम्मेदारी पैर जमाने लगी। 👞
© unnati