अब मैं लौटूंगी नहीं ......🥲
मैं एक जागी हुई स्त्री हूं।
मैंने अपनी राह देख ली है।
मैं अब लौटूंगी नहीं......🥲
मैंने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं।🚪
सोने के गहने तोड़ कर फेंक दिए हैं।
भाइयों ! मैं अब वह नहीं हूं जो पहले थी।
मैं एक जागी हुई स्त्री हूं।
मैंने अपनी राह देख ली है।
अब मैं लौटूंगी...
मैंने अपनी राह देख ली है।
मैं अब लौटूंगी नहीं......🥲
मैंने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं।🚪
सोने के गहने तोड़ कर फेंक दिए हैं।
भाइयों ! मैं अब वह नहीं हूं जो पहले थी।
मैं एक जागी हुई स्त्री हूं।
मैंने अपनी राह देख ली है।
अब मैं लौटूंगी...