ख़्वाब की ख़ुश्बू......
इक ख़्वाब की ख़ुश्बू में,
हम रोज नये ख़्वाबों के
ताने-बाने बुनते जाते हैं,
हमें नहीं पता ये ख़्वाब
कभी मुकम्मल होगें की नहीं,
पर आज तक कभी भी ...
हम रोज नये ख़्वाबों के
ताने-बाने बुनते जाते हैं,
हमें नहीं पता ये ख़्वाब
कभी मुकम्मल होगें की नहीं,
पर आज तक कभी भी ...