...

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Mother- The unknown warrior
दो जिस्म एक जान ये फलसफा उस मां के नाम,
जिसके प्राणों में संतान जिसकी रूह में संतान।
सबसे सुंदर लिखावट हो तुम, किसी कवि की खूबसूरत कहावत हो तुम।
जो तू ना होती तो हम ना होते,तुझसे है वजूद हमारा।
तू ही जग सारा।
ज्यों ही दिन चढ़े, तुझ पर मेहनत का रंग चढ़े।
मध्याह्न होते-2 थकान चढ़े फिर भी अपने कार्यों की तरफ समर्पित रहे।
संध्या होने पर खुद थकी है पर सबकी थकान का इलाज करे,
गर्म-2 चाय और पकौडे तले,परोसकर सबको जो वक़्त मिले तो खुद चखे।
फिर शाम के भोजन की ओर बढे,जो कोई कार्य रह गया शेष ,
बढना उसकी और ना करे निषेध।
करके उसे पूरा जाए करने को पेट पूजा।
: अंत में यहीं कहूंगी-
तू कितनी brave है मां
तुझसे नहीं कुछ great यहां।
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