तुम और मैं अब हम नहीं...
तुम और मैं अब हम नहीं हैं,
कैसे मानूँ, कोई ग़म नहीं है!
फ़ुर्सत के लम्हे आए-गए से,
कैसे कहूँ, कोई भ्रम नहीं हैं!!
ज़िंदगी के रस्ते में हम फँसे,
साथ मिलकर ख़ूब हम हँसे,
टूट के जुड़े भी एक-दूजे...
कैसे मानूँ, कोई ग़म नहीं है!
फ़ुर्सत के लम्हे आए-गए से,
कैसे कहूँ, कोई भ्रम नहीं हैं!!
ज़िंदगी के रस्ते में हम फँसे,
साथ मिलकर ख़ूब हम हँसे,
टूट के जुड़े भी एक-दूजे...