...

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ज़हर इश्क़
एक मासूम फ़िर इश्क़ में तबाह हो रही है।
नक़ाब मे हो क़ैद, अपना बचपन खो रही है।
बेबस कर अपनों को, आज ख़ुश हो रही है
बर्बादियों से बेखबर हो पिंजरे में सो रही है।


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image credit Pintrest
Dr. Priyanka227



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#alfazdilse37 #quotesbydrpriyanka
Ic:pintrest
बहुत दर्दनाक होते हैं ये एहसास किसी भी माता पिता के लिए, यह जानते हुए भी कि हमारे बच्चे गलत दिशा में जा रहे हैं उन्हें रोक ना पाना।
आत्महत्या करने की धमकी देना और आत्महत्या करना बच्चों ने हथियार के रूप में उपयोग करना सीख लिया है अपनी नाजायज़ मांगों को मनवाने के लिए मां बाप को मजबूर कर देते हैं। बेबस और लाचार माता पिता अपने बच्चों को अपनी आंखों के सामने उस अंधे कुए की ओर जाने से रोक भी नहीं पाते क्योंकि बच्चों ने आत्महत्या वाला हथियार अपना लिया है । 16-17 साल की उम्र में इश्क में पड़ जाने वाली लड़कियां अक्सर 23-24 साल की उम्र में ग़ुलामी की ज़िंदगी जीती है।
इसका हल निकालने के लिए हमें अपने बच्चो को आज़ादी के साथ साथ किशोरावस्था मे विशेष स्नेह एवं आत्मविश्वास देना होगा, साथ ही शिक्षा का और आत्मनिर्भर होने महत्व भी समझना होगा।
बच्चियों को सिर्फ़ खाना पकाना सिखाने की बजाय उन्हें स्वयं के लिए कमाना है यह भाव जागृत करना बहुत जरूरी हो चुका है।
आँखों के सामने उस बच्ची नादानी और उसके माता पिता की पीड़ा देख मैं ख़ुद को लिखने से नहीं रोक पाई।