साजिश ए इश्क
साजिश ए इश्क
कुछ यूं रचा है उन्होंने
मोहब्बत कर खुद से
हमे दूर कर रखा है उन्होंने
हमारी ही भलाई सोच कर
तकलीफ़ हमारे हिस्से लिखा है उन्होंने
ज़िद को अपनी हमारी खुशियों से
ऊपर रखा है उन्होंने
हम कितना भी समझाएं उन्हें
कि उनके बिना हमारी जिंदगी
ग़म ए जिंदगानी होगी
पर हमसे ज्यादा गैरों की बातों को
तव्वजों दे रखा है उन्होंने!
© void