...

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प्रकृति तू रहम कर
हे!प्रकृति तू रहम कर,
न तू अब इतना सितम कर,
सारी बाधाओं को खतम कर,
अपनी आपदाओं को कलम कर,
क्रोध का तू अपने शमन कर,
है माना ये हमने !
तुमसे किया है दुर्व्यवहार,
बहुत किया है अत्याचार,
खूब मचाया हाहाकार,
अत्यंत मचाया अनाचार
पर हम तेरे बच्चें हैं नादान
जान न पाए तू कितनी महान
हे वसुंधरा विनति है तुझसे ,
कोप का तू दमन कर
हे!प्रकृति तू रहम कर।
।।स्वाति।।