कठपुतली
सुखे होंठों पर दो बात दबा कर
नम आंखों में कई दर्द छिपा कर
अपनी जिंदगी के स्याही से
हमारी जीवन की पहेली सुलझाती है
अपने जीवन के सारे रस निचोड़ कर
हमारी जिंदगी सींचती रह जाती है
बेटी बहन पत्नी और मां के रूप में ही
अपनी गाड़ी खींचती रह जाती है...
नम आंखों में कई दर्द छिपा कर
अपनी जिंदगी के स्याही से
हमारी जीवन की पहेली सुलझाती है
अपने जीवन के सारे रस निचोड़ कर
हमारी जिंदगी सींचती रह जाती है
बेटी बहन पत्नी और मां के रूप में ही
अपनी गाड़ी खींचती रह जाती है...