...

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ख़ास बात है...
मेरा नज़्में लिखना आम बात है,
उन नज़्मों में तेरा ज़िक्र होना ख़ास बात है।

ख्वाबों, ख्वाइशों, खयालों में
हर दम रहना आम बात है,
हाथ की लकीरों में
तेरा साथ मिले तो ख़ास बात है।

मेरे लिए हमसफ़र की ज़िंदगी संवारना आम बात है,
मुफलिस बंदे को तेरा लम्हा नसीब हो तो ख़ास बात है।

दूसरों की शादी में
मुबारकबाद देना आम बात है,
दूल्हे के सेहरे की बीच उस जगह में
तुम लाल जोड़े में आती दिखों तो ख़ास बात है।

चांद तारों का रूबाब देखना आम बात है,
आईने को तेरा दीदार मिल जाए तो ख़ास बात है।

© Shabbir_diary

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