...

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"रुकती है, बिखरती है"
रूकती है बिखर जाती है ।
उम्मीदें है किधर -किधर जाती है।।
धड़कनो से पूछो वफादारी क्या है ।
सांसे रूकती है ये ठहर जाती है ।।
उनको भूलू तो भला कैसे मैं ।
ये यांदे है हर रोज गुजर जाती है ।।
भूखे बच्चे पूछते है माँ उदास क्यों हो ।
माँ है खाली बर्तन देख के सिहर जाती है ।।

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#WritcoPoemChallange