...

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आ जाओ न थोड़ी सी बात करते है।
आ जाओ न थोडी सी बात करते है, बीत गया जो वक्त हमारे दरमियां उसे याद करते है

मिली थी तुम मुझको एक अनजान से मोड़ पर, जहां का मैंने सोचा भी नही ऐसी दुनिया को छोड़कर, सहारे हम उन यादों के अब भी रोज दिन से रात करते है, आ जाओ न थोड़ी सी बात करते है।

भेजी थी तुमने एक तस्वीर अपनी खुले बालों में, नीली सी टी शर्ट पहने हल्की सी मुस्कान दिख रही थी गालों में, क्यों न फिर उस खुशी से मुलाकात करते है, आ जाओ न थोडी सी बात करते है।

एक तिल देखा है तुम्हारे सीधे गाल पर, एक पहरा देता है भौंह के बगल में जो लगता है कमाल पर, गले में दिखती उन दो लकीरों की बात करते है, आ जाओ न थोड़ी सी बात करते है।

मैंने जताई थी जो बैचेनी तुम तक आने में, और मिलकर तुमसे भूल गया वो सबकुछ जैसे अनजाने में, उन उलझनों से भरे सुलझे वक्त को याद करते है, आ जाओ न थोडी सी बात करते है।

किस्से सुनाये थे तुमने भी अपने गुजरे दिनों के, थी कुछ खुशियां और कुछ थे गम महीनों के, भूल कर उस बीते वक्त को फिर जिंदगी की शुरुआत करते है, आ जाओ न थोडी सी बात करते है।

© (V_नय)