ख्वाब
आजा कुछ तमन्नाओं की
तक़दीर् हम संवार ले
रूठे हुए हैं सनम
आज हम पुकार लें
देर से खड़े हुए
हाथों में ले पुष्प गुच्छ
सूखने से पहले इनके
भाग्य को निखार लें
स्वर लहर है शास्वत
मिट नहीं सकी कभी
वायु के झोंको पे
इनको हम उतार लें
तक़दीर् हम संवार ले
रूठे हुए हैं सनम
आज हम पुकार लें
देर से खड़े हुए
हाथों में ले पुष्प गुच्छ
सूखने से पहले इनके
भाग्य को निखार लें
स्वर लहर है शास्वत
मिट नहीं सकी कभी
वायु के झोंको पे
इनको हम उतार लें
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