जिंदगी
ज़िन्दगी सहरा सी हुई जाती है
हर पल रेत का दरिया हुई जाती है
अपनों से ही चेहरा छुपा कर घूमता है आदमी...
हर पल रेत का दरिया हुई जाती है
अपनों से ही चेहरा छुपा कर घूमता है आदमी...