...

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RAVAN
"सबने रावण तो बहुत जलाये,
पर क्या कोई राम था।"

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दुर्योधन को सब भूल गये,
बस रावण याद रहा।
द्रोपदी का हुआ चीरहरण,
दुर्योधन न याद रहा।
सिया को जो हाथ तक न लगाया,
बस वो सबको याद रहा।
अंतर्मन रावण न दिखा,
दशहरे का सबको इंतज़ार रहा।

"ज़लते हुए रावण ने कहा,
मुझे सब शौक से जलाओ***
क्या आज के युग मे कोई राम रहा।"

रावण तो फिर भी ठीक था,
पर अब कोई न इंसान रहा।।
मानवता नष्ट हुयी,
अब न कोई अरमान रहा।।
सिसकियाँ लेती रही हर गली में सीता,
पर अब न कोई राम रहा।।

"जब आघात लगा हृदय पे,
तब मेरी कलम बोल पड़ी,
सबने रावण तो बहुत जलाये,
जलाने वालो मे क्या कोई राम रहा।"

😭😔😭










© 🖤बेज़ान दिल🖤