transparency
यह कैसी पर्दे दारी हैं
यह कैसा बेपर्दा पन हैं,
ना मिलता हे वह देह के व्यापारो में,
ना मिलता हे वह मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारों में,
ना मिलता हे वह मस्तक की लकीरों में,
ना मिलता हे वह पाखंडी फकीरों में,
वह मिलता हे भावनाओं के कर्ज दारों में
सिख-हिंदू-मुसलमानों में,
वह मिलता हे पर्दे...
यह कैसा बेपर्दा पन हैं,
ना मिलता हे वह देह के व्यापारो में,
ना मिलता हे वह मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारों में,
ना मिलता हे वह मस्तक की लकीरों में,
ना मिलता हे वह पाखंडी फकीरों में,
वह मिलता हे भावनाओं के कर्ज दारों में
सिख-हिंदू-मुसलमानों में,
वह मिलता हे पर्दे...