...

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हिस्से
कुछ घाव अभी भी भरे नहीं,
कुछ ज़ख्म अभी भी रिसते हैं,
कुछ भाव अभी भी मरे नहीं,
कुछ इतने पक्के रिश्ते हैं,
कुछ कसमें हैं,फ़रियादें हैं,
कुछ सच्चे झूठे वादे...