...

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हिस्से
कुछ घाव अभी भी भरे नहीं,
कुछ ज़ख्म अभी भी रिसते हैं,
कुछ भाव अभी भी मरे नहीं,
कुछ इतने पक्के रिश्ते हैं,
कुछ कसमें हैं,फ़रियादें हैं,
कुछ सच्चे झूठे वादे हैं,
कुछ आधी अधूरी बातें हैं,
कुछ तन्हा काली रातें हैं,
कुछ कसक अभी भी थोड़ी है,
इक कोने में रख छोड़ी है,
कुछ खट्टी-मीठी यादें हैं,
कुछ भूले बिसरे किस्से हैं,
एक ज़माना बीत गया,
पर अब भी वो मेरे हिस्से हैं।
- राजेश वर्मा
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