...

3 views

दर्द- दे- दास्तान
अपना दु:ख दूसरों को बता कर उने न दु:खी करना चाहू
अपना दु:ख को अपने में ही छुपना चाहू
मैं दु:ख छुपाये दिखाता हसी अपना
लोग समझे सोभागी , की ये खुश कितना
उने क्या पता की दर्द कितना , छुपाये हम अपना
सपना भी रुठा है कितना , दर्द भी सच्चा उतना
दर्द को हसी मे छुपाये , मैं रोता भी कितना
और ऊपर से ठहरे लड़के हम , दर्द होता भी कितना
दर्द छुपाये छुपता नहीं , अब दर्द बता ही देता हूँ अपना
पर दर्द बताने के लिए कोई पास नहीं अपना
किसे सुनाऊ ये दर्द दे दास्तान अपना

© VINIT KUDDOR