तुम क्यों हस्ते हो?
संसार में इतना दुख है,तुम मुस्कुराते क्यों हो,
क्या हो तुम पागल या बहुत ही ज्ञानी ,जो कि तुम मुस्कुराते हो।
माना है मैने! तुमसे कुछ नहीं छिपता ,तुम सब कुछ जानते हो
तो क्यों सब दुखो को देखे हुए भी तुम हस्ते हो।
तुम अगर चाहो तो सब को दुखो से मुक्त कर सकते हो।
तुम तो हो! वो नीलकंठ जिसने वो विष पी लिया , दूसरों के खातिर ।
तो क्यों अब तुम डर रहे हो।
माना तेरे दर पर आने से पहले इंसान कुछ देर सोचता है,
पर तुम उसपर उपकार तुरंत ही कर सकते...
क्या हो तुम पागल या बहुत ही ज्ञानी ,जो कि तुम मुस्कुराते हो।
माना है मैने! तुमसे कुछ नहीं छिपता ,तुम सब कुछ जानते हो
तो क्यों सब दुखो को देखे हुए भी तुम हस्ते हो।
तुम अगर चाहो तो सब को दुखो से मुक्त कर सकते हो।
तुम तो हो! वो नीलकंठ जिसने वो विष पी लिया , दूसरों के खातिर ।
तो क्यों अब तुम डर रहे हो।
माना तेरे दर पर आने से पहले इंसान कुछ देर सोचता है,
पर तुम उसपर उपकार तुरंत ही कर सकते...