...

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एहसास -ए - जुर्म
पहले तो अपने किए पर फ़ख़र था उन्हें ,
एक उम्र गुजरने पर ख़ता सी लगी ,
आज इक एहसास- ए - जुर्म का एहसास होता है ,
और चाहतें हैं की सामने वाला बिन माँगें ही ----
माफ़ी की आदायगी कर दे ...........

© NehaV