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ज़िन्दगी
ज़िन्दगी में अगर सबकुछ मिल जाता
तो ज़िन्दगी जीने का मज़ा कहाँ आता !!
कौन पूछता फिर उस ख़ुदा को
कौन मंदिर, मस्जिद और गुरूद्वारे जाता !!
किसकी तमन्ना होती, फिर कुछ बनने की
इंसान, मेहनत शब्द का मतलब,
कहाँ समझ पाता !!
कुछ पाने की तमन्ना ही,
ज़िन्दगी जीने का मज़ा देती है !!
नहीं तो इंसान अब तक,
ख़ुद ही ख़ुदा बन जाता !!
© Sukhbir Singh Alagh
तो ज़िन्दगी जीने का मज़ा कहाँ आता !!
कौन पूछता फिर उस ख़ुदा को
कौन मंदिर, मस्जिद और गुरूद्वारे जाता !!
किसकी तमन्ना होती, फिर कुछ बनने की
इंसान, मेहनत शब्द का मतलब,
कहाँ समझ पाता !!
कुछ पाने की तमन्ना ही,
ज़िन्दगी जीने का मज़ा देती है !!
नहीं तो इंसान अब तक,
ख़ुद ही ख़ुदा बन जाता !!
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