...

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जहा मायने ना होगे सीरत को
अक्सर तुझे ही ताके सब
क्यों ना मै नजर आऊ,
क्यों परदा रखती मुजपे तू
क्यों खुदको उन्हें में ना समझाऊं,

माना करेंगे वो शादी तुझसे
पर मुझसे भी तो राब्ता होगा,
जब आशियाना बनेगा तुम दोनों का
घर मेरा भी वो तलाशता होगा,

अगर तुझसे ही प्यार मिलना है
तो शादी ही क्यों करू मै,
रूह हूं तेरी उसको भी तो दिखु
तभी तो उसपे भी मरू मै,

तू शरीर मै रूह हूं
वो देखना चाहता बस तुझे,
समझ नहीं पाता बेचारा
पाना होगा उसे मुझे,

शादी तेरी हो जाएगी
पर प्यार तो मुझे जताना होगा,
जिसमें वो ना देख पाए तेरी रूह को
बता वो रिश्ता कैसे निभाना होगा,

क्यों लड़के हमेशा
चाहे तेरी सूरत को,
कैसे होगा इश्क़ वो
जहा मायने ना होगे सिरत को,
जहा मायने ना होगे सीरत को।

© drowning angel