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सत्य
किसी भजन के भाव का अर्थ सत्य है
यदि शब्दों में उलझ गए तो व्यर्थ सत्य है
अनंत तक फैला हुआ अंधेरा असत्य का
और टिमटिमाते प्रकाश लिए गर्त सत्य है
सूर्य ने प्रभा भेजा केवल दिशा दिखाने को
धरा पर जो ये प्रकाश है वो अर्ध सत्य है
जिसके बस प्रकाश से जिवित ये जग हुआ
सोचो क्या-क्या करने में वो समर्थ सत्य है
पहले सत्य को छूने के योग बनो अभी तुम
नहीं तो तुम्हारे भाग्य में अनर्थ सत्य है
वही प्रबल ज्ञान है जो उलझे ना तर्क में
असीम ज्ञान का एक मात्र शर्त, सत्य है
© प्रियांशु सिंह
यदि शब्दों में उलझ गए तो व्यर्थ सत्य है
अनंत तक फैला हुआ अंधेरा असत्य का
और टिमटिमाते प्रकाश लिए गर्त सत्य है
सूर्य ने प्रभा भेजा केवल दिशा दिखाने को
धरा पर जो ये प्रकाश है वो अर्ध सत्य है
जिसके बस प्रकाश से जिवित ये जग हुआ
सोचो क्या-क्या करने में वो समर्थ सत्य है
पहले सत्य को छूने के योग बनो अभी तुम
नहीं तो तुम्हारे भाग्य में अनर्थ सत्य है
वही प्रबल ज्ञान है जो उलझे ना तर्क में
असीम ज्ञान का एक मात्र शर्त, सत्य है
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