...

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बृंदावन
#अनपढ़पन्ने

किन गलियान मा ढूंढे तू उसको,
क्या पढ़ना बाकी रह गई तुझको।।

जो बैठत है नाद अनहत बा,
किस नाम से पुकारे तू उनको ।।

घट घट बिराजत,
जो जीवित और मृत,
उसके बिना सुख,
कहां कोय मुझको ।।

छोड़ सारी दुनिया,
खोज मैं उसके जाना कंहा कोई बतादो मुझको ।।

ऐसे जब जब दशा हुई किसी मीरा की,
गोविंद गोबिंद गोबिंद गाई वो अमृत जप...
आए त्रिभूबन बिहारी शोक करने हरण,
और मिली उसे बृंदावन की शरण ।।

© Shyam_Kripaki_Pyasi