रहने दो
करने दो तारीफ़,
देने दो गाली,
कहने दो जो जिसे,
जो भी कहना है,
गिरने दो रिमझिम,
बनने दो झरने,
झरने से नदिया,
नदिया से सागर,
बहने दो ज़िंदगी को,
जिस तरह भी,
उसे बहना है,
क्या जल्दी है,
हर हिसाब और,
किताब की,
रहने दो अगर कुछ,
अगले जनम के लिए,
भी रहना है।
- राजेश वर्मा
© All Rights Reserved
देने दो गाली,
कहने दो जो जिसे,
जो भी कहना है,
गिरने दो रिमझिम,
बनने दो झरने,
झरने से नदिया,
नदिया से सागर,
बहने दो ज़िंदगी को,
जिस तरह भी,
उसे बहना है,
क्या जल्दी है,
हर हिसाब और,
किताब की,
रहने दो अगर कुछ,
अगले जनम के लिए,
भी रहना है।
- राजेश वर्मा
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