...

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वो पुराने दिन
यादों के झरोखों से झांकती हुई.....
उन पुराने दिनों की तस्वीर
जब आँखों के सामने आती है
याद करके फिर उन हसीन पलों को
होठों पर हंसी और आँखों में नमी छा जाती है,,,!!

बैठते थे सब पूरे दिन एक दूजे के साथ....
इतवार की वो छुट्टी अपनो के संग
कुछ ऐसे ही बीत जाती थी
अपनो के साथ बिताये इन पलों में
जिंदगी बड़ी खूबसुरत सी नज़र आती थी,,,!!

गलती से भी, जो हो जाती थी कोई गलती.....
मम्मी की डांट के डर से
पूरी की पूरी रूह कांप जाती थी
होती थी गलती सिर्फ एक की
लेकिन पिटाई की बारी सबकी आती थी,,,!!

बड़े भोले से हुआ करते थे, उस बीते कल में.....
किसी के गुस्से में भी न जाने क्यों ?
बेवजह हंसी आ जाती थी
कोसों दूर थे गुस्से, इर्ष्या की भावना से
अच्छाई की भावना दिल से कभी न जाती थी,,,!!

आते थे जब रहने के लिए रिश्तेदार घर पर....
आँखों में चमक और मन में
एक अलग ही खुशी आ जाती थी
बड़े सुहाने थे, वो पुराने दिन
भविष्य में नही, वर्तमान में जिंदगी बीत जाती थी,,,!!

खुश रहते थे, अपनों के साथ हर हाल में.....
दुखों में भी एक दूसरे के सहारे
मुश्किल घड़ी भी सुकून से कट जाती थी
और उन पुराने दिनों में पड़ोसियों में भी
कुछ ऐसे ही अपनेपन की भावना मिल जाती थी,,,!!

करते थे दिनभर शाम होने का इंतज़ार....
शाम होते ही फिर दोस्तों की टोली
खेल कूदकर चारों ओर धूम मचाती थी
बचपन के उन बीते दिनों में
छोटी-सी बात भी खुश रहने की वजह बन जाती थी,,,!!


© Himanshu Singh