...

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Are Girls a burden?
अरे मिटा देना चाहतीं नियम को एसे,
जो औरत के सकू को छीन ले,
लड़का भी तो औरत की ही कोख से जन्मे,
नौ महीनों को तो वो ही झेले,
अरे मिटा देना चाहती नियम को एसे|

फिर भी क्यों मां लड़के के लिए ही गवाई दे
लडकी का पढ़ना पराए घर का उसको न लेना..
क्यों लड़का देर रात घर आए
फिर भी घर की आन, बान शान कहलाए
क्या गलती थी उनकी कोई मुझे समझाए..
अरे मिटा देना चाहती नियम को एसे|

अरे पापा से कहती शादी न कराए ,
पढ़ लिख के कुछ बढ़ा बनना चाहे,
चाहती मां भी लडकी का साथ देना ..
पर मजबूरी उसकी क्या करे हाए
अरे मिटा देना चाहती नियम को एसे|

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