...

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दिल बहलाया था
मैंने खुद को समझाया था,
किसी के काबिल बनाया था।

मैंने प्यार में अपना सर झुकाया था,
उसने मेरी संवेदनाओं का उपहास बनाया था।

मैंने ख़ूब प्रयत्न लगाया था,
अपना रिश्ता बचाया था।

इन सब से भी उसमें कोई परिवर्तन न आया था ,
एक दिन वह परिवर्तित होगा यह कहकर मैंने अपना बस दिल बहलाया था।




—अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी —



© Anki