...

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Collection-1
कुछ भी लिखू हर बार सार वो होंगी।
मेरे हर ख्वाइश की आधार वो होंगी।।
साल दर साल बदलते रहे ,साहब।
मेरे इस दिल मे हर बार सरकार वो होंगी।।

तुम मुझे बर्बाद कर दिये सियासत के चलते।
हम भी बिखर गये कुछ खामियों के चलते।
जिस सल्तनत को सभाले थे आपके लिए।
उसे आपने तबाह किया बेरुखी के चलते।।


जिस दिन मै कलम उठाया,गालिब।
उस दिन आपका ख्याल बदल जाएगा।
मोहब्बत इतना सफा लिखूंगा-२
कि तेरे नफरत करने का ख्याल उतर जाएगा।।

कुछ तो बढ़ा है सफर मेरी जिंदगी का।
मोहब्बत मे तबाह हो के दिल से घायल कहा जाऊंगा।
आशिक़ी मे बर्बाद हुआ आशिक ।
तो कभी महफिल मे रौनक लाने वाला शायर कहा जाऊंगा।।