...

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मेरे हमसफ़र
तुम्हीं मेरी मंज़िल तुम्हीं तो सफ़र हो
तुम्हीं रास्ता हो तुम्हीं तो ज़फ़र हो

नहीं कुछ भी मैं हूं जो तुम ना अगर हो
मेरी ज़िन्दगी के तुम्हीं हमसफ़र हो

तुम्हीं से सुबह तुम ही शाम-ओ-सहर हो
कभी भी ना तुमसे तो कोई मफर हो

बसर मेरी सांसों में तुम इस कदर हो
रगों में जो दौड़े खुशी की लहर हो

तुम्हीं मेरी जन्नत लगो इस कदर हो
तुम्हारे बिना ज़िन्दगी बस ज़हर हो

© अमरीश अग्रवाल "मासूम"
बहर : १२२ १२२ १२२ १२२