सारांश एक नग्न कागज की वैश्या जो मेल ना खाती हो।। भाग३(समाज)
सारांश
एक नग्न कागज की वैश्या जो मेल ना खाती हो,
क्योंकि जन्म आधार है उसी का,
मगर यह और यह झुकाव मेरा या तेरा,
असिमता मेरी या फिर अस्तित्व तेरा!
इस कोई सारांश त्री स्तंभ स्तुति से!
सबकुछ सामान्य गाथा होकर असामान्य रूप से ग्रस्त में विलीन विलुप्त!!
😞😞😔😔🙄🤔🤨🧐😳🗣️
ना लन्ड मेरा _और_ना चूत तेरी 😔😞🤨🧐😳😡🥱।।
स्पर्श मेरा छुअन...
एक नग्न कागज की वैश्या जो मेल ना खाती हो,
क्योंकि जन्म आधार है उसी का,
मगर यह और यह झुकाव मेरा या तेरा,
असिमता मेरी या फिर अस्तित्व तेरा!
इस कोई सारांश त्री स्तंभ स्तुति से!
सबकुछ सामान्य गाथा होकर असामान्य रूप से ग्रस्त में विलीन विलुप्त!!
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ना लन्ड मेरा _और_ना चूत तेरी 😔😞🤨🧐😳😡🥱।।
स्पर्श मेरा छुअन...