बस इतना करना कान्हा
सुरज के ताप से जलती वसुंधरा
जब बारिश की बुंदों से खिलती है
तब बंजर सी इस धरती पर
नव जीवन की कोपल पलती हैं
होता है नया सवेरा कहीं
पर्वत के पीछे से
जब नवकिरणें नई आशा के साथ...
जब बारिश की बुंदों से खिलती है
तब बंजर सी इस धरती पर
नव जीवन की कोपल पलती हैं
होता है नया सवेरा कहीं
पर्वत के पीछे से
जब नवकिरणें नई आशा के साथ...