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बिना बाधा का जीवन: समानता से हो संतुलन

भागदौड़ भरी दुनियां में नारी भी लाई विकास।
दिखी उनकी सफलता, काबिलियत और प्रयास।
पर नहीं दिखी उसकी स्वतंत्रता और सकून।
वो जगह बनाने को अभी भी जारी है जुनून।

वो कहते हैं कि अब बराबरी का दौर हैं।
हम सब इंसान हैं, कुछ ऐसा सा शोर हैं।
फिर भी क्यों वो स्थान पाना अभी बाकी है।
क्यों समानता की बाते करना गुस्ताखी हैं।

निःसंदेह, वे भी तारीफ़ और प्रेम की पात्र हैं।
उन्हें सिर्फ सम्मान दो, तो वो भी पर्याप्त है।
उन्हें भी सुकून के आलिंगन में खोने दो।
निश्चिंत्यता की कोमल सैय्या पर सोने दो।

सुकून के लिए संघर्ष नहीं होना चाहिए।
सहना पड़े ऐसा स्पर्श नहीं होना चाहिए।
समानता में समान ही सुख और शांति हो।
वास्तविक प्रसन्नता में नहीं कोई क्रांति हो।

समानता में ही सद्भावना और सरलता है।
यहीं इंसानियत की सबसे बड़ी सफलता है।खुशी,आराम और उल्लास को गले लगाए।
सुकून की कीमत का अहसास जगाएं।

तो आइए सब इंसान होने का प्रयास करें।
समानता भरी आज़ादी का अहसास करें।
आइए लिंग के भेदभावों का पूर्णत अंत करें।
पुरुष प्रधानता दायरों से खुद को स्वतंत्र करें।

© Sunita Saini (Rani)
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