।। ख़ुद से।।
कुछ कहना है खुद से,
कुछ केहना है सबसे।
जो सालों से बात छुपी थी मुझमे,
जिसने दूर रखा था मुझे ही मुझसे।
कभी ना जाना खुदको,
बस एक भ्रम है।
क्या जो सालों से हूं मैं,
वो हूं ही नहीं असलियत में।
कुछ केहना है सबसे,
अब बात करनी है खुदसे।
अब चाह है ख़ुद को जान ने की,
सबको पहचानने की।
कौन है अपना और कौन पराया,
बस हमेशा दूसरो को अपना बनाया।
अब बारी है ख़ुद को अपना बनाने की,
ख़ुद को जानने की, खुद को पहचानने की।।
© psycho
कुछ केहना है सबसे।
जो सालों से बात छुपी थी मुझमे,
जिसने दूर रखा था मुझे ही मुझसे।
कभी ना जाना खुदको,
बस एक भ्रम है।
क्या जो सालों से हूं मैं,
वो हूं ही नहीं असलियत में।
कुछ केहना है सबसे,
अब बात करनी है खुदसे।
अब चाह है ख़ुद को जान ने की,
सबको पहचानने की।
कौन है अपना और कौन पराया,
बस हमेशा दूसरो को अपना बनाया।
अब बारी है ख़ुद को अपना बनाने की,
ख़ुद को जानने की, खुद को पहचानने की।।
© psycho