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दो चाणक्यों का संवाद

चाणक्य बोले अमित से, राजनीति का है खेल,
नीति और नीयत की रचना, कुटिलता का मेल।
अमित शाह ने कहा गुरुजी से, आपकी शिक्षा का मैं अधिकारी,
हर चाल, हर पैंतरे में, हूँ आपका आभारी।


चाणक्य ने कहा, राजनीति में, छल-कपट हो न मोल,
धर्म और कर्तव्य से, राष्ट्र राज्य का रखना आधार अनमोल।
अमित ने सिर झुकाकर कहा, गुरुजी आपकी आज्ञा मान,
देश की सेवा में करूंगा, हर नीति का दो ज्ञान।


चाणक्य...