...

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कर्म
कर्म निरत जीवन मनुज का
कर्मों से जीवन चले
कर्मों से हो भाग्य फलित
कर्मों से वसुंधरा फले
कर्म से चलता सृष्टि चक्र
कर्मों से संसार चले
कर्म मनुज की सच्ची पूजा
कर्मों से जीवन फले
कर्महीन मनुज हो भारस्वरुप
धरा पर बस बोझ बने।