रस भरे जिस्म को तेरे
रस भरे जिस्म को तेरे
मुझे होंट लगा कर पीने दे
तलब लगी है इश्क की तेरे
तुझपे मर के मुझे जीने दे
हुस्न को अपने बे पर्दा कर
आगोश में मेरी आ जाओ
सब हया को छोड़ कर अपनी
योवन रस चखा जाओ
वस्थलो को मैं तेरे फिर
धीरे धीरे से सहलाता जाऊ ...
मुझे होंट लगा कर पीने दे
तलब लगी है इश्क की तेरे
तुझपे मर के मुझे जीने दे
हुस्न को अपने बे पर्दा कर
आगोश में मेरी आ जाओ
सब हया को छोड़ कर अपनी
योवन रस चखा जाओ
वस्थलो को मैं तेरे फिर
धीरे धीरे से सहलाता जाऊ ...