...

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मेरे हमदम
जब जब टूटकर बिखरा मेरा मन
तूने मुझे थामा है
सामने तू बेशक़ नहीं पर तेरे अक्स ने
मुझे हर बार थामा है ।
भाव की हर लहर मुझे रूलाती थी
एक ग़म के सागर में डुबाती थी
तेरे होने की हस्ती ने मुझे संभाला है
दिल ने तेरे अहसास को हमेशा स्वीकारा है ।
तेरी बाँह पकड़ चल दी मैं नये सफ़र पर
कहाँ कब कैसे तुम ले जाओगे ,कोई ना सवाल मेरा है ।
कर लिया तुझसे बेपनाह इकरार मेरे साथी
मेरी हर जीत का हमसफ़र बस तू है
है ये वादा 'अनिता' का भी जब तक आसमाँ है
मेरा प्यार बस तू बस तू ही है ।
तेरा मेरा प्यार असीम है इस अनन्त की तरह
आज भी संग तू है ,वहाँ भी साथ तू है
दिया ये वचन हम दोनों ने ही