मेरा वतन वही है
जहां डाल डाल पर चिड़ियां तो कहीं तोता मैना करती हैं बसेरा,
जहां सत्य, अहिंसा , दीन-धरम का पग पग लगता डेरा,
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।
जहां बादलों के साए में, पर्वत–पहाड़ों की बाहों में,
राहतें बस्ती हैं जहां गंगा यमुना सरस्वती नदियों और झीलों की पनाहों में,
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।
जहां लोग तिरंगा फहराते हैं आज पूरी शान से,
तिरंगे में रंग भरे हैं वीर–शहीदों के प्राण से,
आज़ादी मिली है जहां जीवन के बलिदान से,
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।
© Adnanturk
जहां सत्य, अहिंसा , दीन-धरम का पग पग लगता डेरा,
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।
जहां बादलों के साए में, पर्वत–पहाड़ों की बाहों में,
राहतें बस्ती हैं जहां गंगा यमुना सरस्वती नदियों और झीलों की पनाहों में,
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।
जहां लोग तिरंगा फहराते हैं आज पूरी शान से,
तिरंगे में रंग भरे हैं वीर–शहीदों के प्राण से,
आज़ादी मिली है जहां जीवन के बलिदान से,
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।
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