आखिर क्यों
जिसकी हर बात लगती थी पत्थर की लकीर
पर उसने मुझे इस मंजर पर छोड़कर ,आखिर क्यों बना दिया फकीर,
भरोसा तोड़ यूं दिल तोड़ दिया हमारा
फिर भी हमें यकीन दिलाते हैं
कि मैं ही हूं तुम्हारा।।।
आंखों में सपने दिखाकर यूं छोड़ जाते हैं
लगता है वे आदत से मजबूर है,सबका दिल तोड़ आते हैं।।
इस संसार के लिए है सबका दिल खुला
फिर हर कोई क्यों आकर देता है हमें रुला।।।
जिसे माना था दोस्त
अब वही बन गया जीवन का गोस्ट।।।।
पर उसने मुझे इस मंजर पर छोड़कर ,आखिर क्यों बना दिया फकीर,
भरोसा तोड़ यूं दिल तोड़ दिया हमारा
फिर भी हमें यकीन दिलाते हैं
कि मैं ही हूं तुम्हारा।।।
आंखों में सपने दिखाकर यूं छोड़ जाते हैं
लगता है वे आदत से मजबूर है,सबका दिल तोड़ आते हैं।।
इस संसार के लिए है सबका दिल खुला
फिर हर कोई क्यों आकर देता है हमें रुला।।।
जिसे माना था दोस्त
अब वही बन गया जीवन का गोस्ट।।।।