तुम्हारे जाने के बाद
मैं अब भी घर से निकलता हूँ
और देर रात गए लौटने तक
खो जाता हूँ शहर की भीड़ में
हर सुबह पूरब के आसमान में
अब भी उगता है सूरज
तारों भरी रात में
घर की छत...
और देर रात गए लौटने तक
खो जाता हूँ शहर की भीड़ में
हर सुबह पूरब के आसमान में
अब भी उगता है सूरज
तारों भरी रात में
घर की छत...