...

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हाय अभिमन्यु....
कहि मातु काहे दारुण दुख दीन्हा
हिय के चैन काहे प्रभु हन लीन्हा
करत करुण क्रंदन महतारी
शीश पटक बिलखत सुभद्रा बेचारी।

ज्यों देखा कन्हैया आवत दौड़ी उस ओर
बोलत नाहि पुत्र मोसे पूछत होई भाव विभोर
अब इह जीवन...