सुबह धूप निकलेगी
आज शाम जब छत से कपड़े वापस उतारने गयी
उन्हें हल्का गीला ही पाया,
सोचा नीचे लाकर कमरे में ही सूखने छोड़ दू...
पर माँ ने कहा छोड़ दे छत पर ही
सुबह धूप निकलेगी तो खुद सूख जाएंगे।
अगले 2 दिनों तक नहीं निकली धूप
बेबस मैं कभी मौसम को कोसती कभी माँ को।
बैठ खिड़की किनारे सोच में गई डूब
किस्मत मेरी जैसे ये धूप।
हर रात जब ज़िन्दगी से लड़ कर सोने को जाती हूँ
मन...
उन्हें हल्का गीला ही पाया,
सोचा नीचे लाकर कमरे में ही सूखने छोड़ दू...
पर माँ ने कहा छोड़ दे छत पर ही
सुबह धूप निकलेगी तो खुद सूख जाएंगे।
अगले 2 दिनों तक नहीं निकली धूप
बेबस मैं कभी मौसम को कोसती कभी माँ को।
बैठ खिड़की किनारे सोच में गई डूब
किस्मत मेरी जैसे ये धूप।
हर रात जब ज़िन्दगी से लड़ कर सोने को जाती हूँ
मन...