...

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हम सभी हैं किताबें
हम सभी हैं किताबें
कुछ पन्ने जिसमें ख़ुशी के
और कुछ ग़म की हैं रातें।
रोज़ भर रहे हैं सब एक पन्ना
कभी अतीत की रुसवाई से
तो कभी भविष्य रूपी स्याही से।
ना जाने कब समझेंगे बात को
उम्दा और बेहतरीन किताब को।
जिसमें पन्ने लिखे जाएं बस आज के
आज को अपने दिल से जीकर
फ़िर उसमें पन्ना तुम जोड़ो।
रोज़ करो कुछ यूँ अभ्यास
हर्फ़ हर्फ़ जितना भी लिखो,
ख़ुश होकर बस दिल से लिखो
जीवन रूपी नयी किताब।